1- भारत की बहुलतावादी लोकतंत्र की सफलता पर गर्व जरूर करेंगे लेकिन आत्मगुग्धता से बचते हुए राजनीतिक प्रणाली में आ रही खामियों और सड़ांध को दूर करने का प्रयास करेंगे।
2- एक पत्रकार के तौर पर हम अन्याय और शोषण के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहेंगे और अपने देश के शोषित, गरीब, अशिक्षित और बेजुबान जनता की आवाज बनेंगे।
3- जनता के जनत्रांत्रिक अधिकारों के खातिर अपने देश की चुनी हुई सरकारों और नीति बनाने वाले नेताओं (सांसद, विधायक, पार्षद और दूसरे जनप्रतिनिधियों) को बार-बार याद दिलाएंगे कि उनका चुनाव जनता की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए हुआ है इसलिए वे शासक की जगह सेवक की भूमिका में रहें।
4- चुनी गईं सरकारों और राजनीतिक पार्टियों को उनके वादों और घोषणपत्रों की याद दिलाएंगे, जो वे चुनाव के समय जनता से की हैं और जनता इसी के आधार पर उनको चुनी है।
5- अगर कोई जनप्रतिनिधि जनता का काम करने में आनाकानी करेगा तो उसे बार-बार जनता के मुद्दों की याद दिलाकर उसपर दबाव बनाएंगे और उसे शर्मिंदा करेंगे।
6- एक लोकत्रांत्रिक देश के नागरिक और बहुदलीय व्यवस्था वाले देश के नागरिक तौर पर हमारी किसी विचारधारा, पार्टी और
नेता में आस्था हो सकती है लेकिन एक पत्रकार के तौर पर हम न सिर्फ इससे बल्कि जाति, धर्म, संप्रदाय और भाषा के स्तर पर कभी भी भेदभाव नहीं करेंगे।
7- कलम ही हम पत्रकारों का हथियार है इसलिए हम इसका इस्तेमाल जनता के असली मुद्दों को बार-बार उठाने में करेंगे। सड़क, बिजली, पानी, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के पैमाने पर हो रही प्रगति से जनता को अवगत कराते हुए सरकारों से हिसाब-किताब मांगते रहेंगे।
इससे देश की जनता जागरूक होगी और अपने अधिकारों की मांग करेगी जिसके परिणाम स्वरूप जनता में जागृति आएगी, उसी दिन हमारे भ्रष्ट और बेइमान राजनेताओं के साथ ही ब्यूरोक्रेट भी लाइन पर आ जाएंगे। यहीं हमारा आज के दिन कर्तव्य है।
Thursday, August 13, 2009
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3 comments:
आपका अपील में बहुत अपील है। मैं आपके साथ हूं।
आओ मिलकर अपना भारत बदलें और औरों को भी प्रेरित करें और सोतों को जगाएं।
ब्लागिंग की दुनिया में आपका स्वागत है। ताजा विचारों से जीवन भी नया हो जाता है। नए जीवन के लिए जरुरी है कि वैचारिक आंदोलनों की आग जलती रहे। जनाब कैफी आजमी साहब के शब्दों में लिखें तो..
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है,
आज की रात न फुटपाथ पे नींद आएगी।
मैं उठूं, तुम भी उठो, तुम भी उठो,
कोई खिड़की इसी दिवार में खुल जाएगी।
राजनीति की हवा वाकई गर्म हो गई है। अब सोने से कुछ नहीं होगा। आपसे वैचारिक क्रांति की पूरी आशा रखते हुए आपका एक बार फिर स्वागत है।
Ashwaniji,its good to read your blog here.I came to know about some new facts and your way of thinking also.Its good that you as a sincere journalist want to make some ground levels change. I hope that you will do some extra effect for that. Thanks to motivate the persons of your profession, who can make a change in peoples mind if they think so... bye, its deepak 9310658881
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